Swati Sharma

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लेखनी कहानी -24-Nov-2022 (यादों के झरोखे से :-भाग 25)

      कुछ दिन बीते उसके पश्चात्, मैडम ने जन्माष्टमी के कार्यक्रमों की घोषणा कर दी। उसमें हिस्सा लेने वालों के नाम लिखे जाने लगे। दो लड़कियां राधा बनने को तैयार हो गईं। एक लड़की कृष्ण बनने हेतु तैयार हो गई। परंतु, एक लड़की को उसका कृष्ण नहीं मिला। अतः वह लड़की कृष्ण बनने हेतु सभी से पूछ रही थी। किस को तैयार ना होता देख, मैंने एकदम से बोल दिया कि मैं आपका कृष्ण बन जाऊंगी। वह खुश हो गई। हमने मैडम को अपने अपने नाम लिखवा दिए। दो ही जोड़े राधा कृष्ण बनने हेतु तैयार हुए।

       उसके पश्चात् बारी आई भजन की। भजन में काफी लड़कियों ने अपना नाम लिखवाया। मैंने भी मेरा नाम लिखवा दिया। उसके पश्चात् बारी आई नृत्य की, उसमें भी मैंने मेरा नाम लिखवा दिया। 
        जन्माष्टमी का दिन आया और हम सभी कॉलेज में पहुंच गए। मैं अपने घर से कृष्ण का झूला और कृष्ण की प्रतिमा ले आई थी। सबसे पहले प्रार्थना हुई। उसके बाद हम दो जोड़े जो राधा कृष्ण बने थे, तैयार होने चले गए। तैयार होकर आए तो हमें देखकर मैडम बहुत खुश हो गईं। सभी बहुत सुंदर लग रहे थे। अब सबसे पहले सभी लोग एक स्थान पर एकत्रित हो गए। डायरेक्टर सर भी आ गए।
        सबसे पहले हम चारों ने एक एक करके डायलॉग बोले और खुद को कृष्णा और राधा की तरह परिचित करवाया। इसके पश्चात् हमारा नृत्य हुआ। नृत्य के पश्चात् सभी ने भजन प्रस्तुत किए। मैंने अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम वाला भजन प्रस्तुत किया। उसके पश्चात् कुर्सी दौड़ का कार्यक्रम रखा गया। जिसमें मैं हिस्सा नहीं ले पाई। अंत में सभी ने आरती की और कन्हाजी को भोग लगाया। भोग हेतु सभी अपने अपने घरों से कुछ ना कुछ मीठा या कुछ ना कुछ पकवान बनाकर लाए थे। सभी को हमने सुबह आते ही झांकी की तरह सजाकर रख दिया था। एक एक करके सभी ने कन्हाजि को झूला झुलाया। सबको अपनी अपनी मिठाईयां खिलाई और अंत में अपने घरों की ओर प्रस्थान किया।
         दूसरे दिन सुबह आकर मैंने और मेरी दो मित्रों ने कक्षा कक्ष को साफ किया और सुबह की प्रार्थना के पश्चात् हमने गणेशजी की वंदना की, जो हम रोज़ कक्षा आरंभ करने से पहले करते थे। अंततः अपने अपने स्थान पर बैठ गए और कक्षा आरंभ हुई। गणेशजी की वंदना हम में से ही कोई दो लड़कियां उनकी प्रतिमा को पानी के छीटें मारकर, उन्हें कुमकुम लगाकर, चावल चढ़ाकर, अगरबत्ती लगाकर, हाथ जड़कर प्रार्थना करते हुए करते थे। यह हमारा रोज़ का कार्य था। गणेशजी की वंदना के पश्चात् ही सभी लड़कियां अपना स्थान गृहण करती थीं।
         कुछ दिनों पश्चात् हमारे कॉलेज में एग्रीकल्चर कॉलेज के डीन आए, मेरे सहित 5 लड़कियां और हमारी तीन मैडम ने मैन गेट पर उनका स्वागत किया। 

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2 Comments

Sachin dev

14-Dec-2022 04:18 PM

Superb 👌

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Swati Sharma

14-Dec-2022 09:12 PM

Thanks sir 🙏🏻

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